अनन्या और रवि की लव स्टोरी

अनन्या और रवि की लव स्टोरी

अनन्या और रवि एक ही मोहल्ले में रहते थे। बचपन से ही दोनों की दोस्ती गहरी थी। साथ में स्कूल जाना, खेलना, होमवर्क करना, और कभी-कभी एक-दूसरे से लड़ना भी उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। अनन्या चुलबुली और हंसमुख थी, जबकि रवि थोड़ा शांत और समझदार। उनके परिवार भी एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे।

समय के साथ दोनों बड़े हुए, स्कूल से कॉलेज तक का सफर भी साथ गुजरा। कॉलेज के दिनों में उन्हें एहसास हुआ कि उनकी दोस्ती अब सिर्फ दोस्ती नहीं रही। रवि को जब अनन्या किसी और से बात करती, तो उसे अजीब-सी जलन होने लगती। उधर, अनन्या भी रवि की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखने लगी थी।

एक दिन, कॉलेज के कैंपस में बारिश हो रही थी। अनन्या और रवि एक पेड़ के नीचे छुपे हुए थे। अचानक, अनन्या ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हें पता है रवि, जब तुम पास होते हो तो सब कुछ अच्छा लगता है।” रवि की धड़कनें तेज हो गईं। उसने हिम्मत जुटाकर कहा, “अनन्या, मुझे भी तुम्हारे बिना कुछ अधूरा-सा लगता है।” दोनों की आंखें मिलीं और बिना कुछ कहे ही उन्होंने अपने दिल की बात समझ ली।

प्यार की राह में रुकावटें:

सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन एक बड़ी समस्या थी—उनकी जाति अलग-अलग थी। अनन्या एक ब्राह्मण परिवार से थी, जबकि रवि एक क्षत्रिय परिवार से। उन्हें पता था कि उनके परिवारों के लिए यह रिश्ता मंजूर करना आसान नहीं होगा।

उन्होंने फैसला किया कि पहले वे अपने करियर में कुछ बनेंगे, ताकि उनके परिवार को उन पर गर्व हो और उनका रिश्ता समाज की बंदिशों से ऊपर उठ सके। दोनों ने मिलकर बैंक पीओ की तैयारी शुरू की। दिन-रात मेहनत की और आखिरकार दोनों ने परीक्षा पास कर ली। संयोग से, उनकी पोस्टिंग भी एक ही शहर में हुई।

प्यार का इज़हार:

नौकरी लगने के बाद, रवि ने अनन्या को एक खूबसूरत झील के किनारे मिलने के लिए बुलाया। वहां गुलाबों से सजी एक छोटी-सी टेबल थी और उस पर एक केक रखा था, जिस पर लिखा था, “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”

अनन्या की आंखों में आंसू आ गए। उसने खुशी से सिर हिलाते हुए ‘हां’ कह दिया। दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया। वो पल उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था।

परिवार से संघर्ष:

अब वक्त था अपने-अपने घरवालों को इस रिश्ते के बारे में बताने का। अनन्या ने सबसे पहले अपनी मां को बताया। मां को सुनते ही जैसे सन्नाटा छा गया। उन्होंने अनन्या से कहा, “बेटा, हमारी जाति अलग है। समाज क्या कहेगा? तुम्हारे पापा कभी नहीं मानेंगे।” अनन्या की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

उधर, रवि ने भी अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश की, लेकिन उनके पिता गुस्से में बोले, “हमारी इज्जत का क्या होगा? लोग क्या कहेंगे? हमें ये रिश्ता मंजूर नहीं।” रवि का दिल टूट गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

संघर्ष और उम्मीद:

दोनों ने ठान लिया था कि वे एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने अपने परिवारों को वक्त देने का फैसला किया। वो हर मुमकिन कोशिश करते रहे—प्यार से, धैर्य से, और कभी-कभी आंखों में आंसू लेकर।

एक दिन, अनन्या की मां ने उसे रोते हुए देखा। वो अपनी बेटी का दर्द समझ गईं। उन्होंने अपने पति से कहा, “अगर हमारी बेटी खुश नहीं रही, तो क्या हम खुश रह पाएंगे? जाति से ज्यादा जरूरी उसकी खुशी है।”

धीरे-धीरे अनन्या के माता-पिता मान गए। उधर, रवि ने भी अपने पिता को समझाया, “पापा, मैं आपकी इज्जत पर कोई आंच नहीं आने दूंगा। अनन्या को आप बेटी की तरह अपनाइए, वो भी आपको हमेशा इज्जत देगी।” रवि की बातों ने उनके दिल को छू लिया और वे भी मान गए।

खुशियों की शुरुआत:

दोनों परिवारों ने आपसी मतभेद भुलाकर शादी की तैयारियां शुरू कर दीं। जब अनन्या ने लाल जोड़े में सजी-धजी रवि को मंडप में देखा, तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। रवि ने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा, “हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा, चाहे कुछ भी हो।”

फेरे लेते वक्त दोनों की आंखों में सपने थे—एक साथ जिंदगी बिताने के, एक-दूसरे का हाथ कभी न छोड़ने के। शादी धूमधाम से हुई, और सभी ने उनके प्यार और हिम्मत की तारीफ की।

नई जिंदगी की शुरुआत:

शादी के बाद, अनन्या और रवि ने एक नई जिंदगी की शुरुआत की। उन्होंने मिलकर हर चुनौती का सामना किया और साबित कर दिया कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर सकता है।

उनकी कहानी सिर्फ एक प्रेम कथा नहीं, बल्कि एक मिसाल बन गई कि अगर प्यार सच्चा हो और इरादे मजबूत हों, तो समाज की बंदिशें भी हार मान जाती हैं।

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